October 10, 2024

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मिलिए कलयुग के ‘श्रवण कुमार’ तबारक से, ठेले पर माता-पिता को बैठाकर 750 किलोमीटर का तय किया सफर

कहते हैं कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती इस कहावत को चरितार्थ किया है 11 वर्षीय तबारक ने जिसने अपने माता-पिता को ठेला पर बिठाकर बनारस से अपने घर अररिया के उदाहाट पहुंचाया। तबारक का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, लोगों ने इसे कलयुग के श्रवण कुमार की उपाधि दी है।

तबारक ने बताया कैसे बनारस से गांव का सफर किया तय ?

अररिया के जोकीहाट प्रखंड के उदा हाट गांव अभी काफी सुर्खियों में है क्योंकि इसी गांव के 11 वर्षीय एक बच्चे तबारक ने अपने माता पिता को ठेला पर बिठाकर बनारस से अपने गांव पहुंचाया। तबारक ने बताया कि जब उसे पता चला कि बनारस में रह रहे उसके पिता का पैर टूट गया है, खबर मिलते ही वो अपनी मां के साथ बनारस पहुंच गया लेकिन बनारस पहुंचने के 2 दिन बाद ही लॉकडाउन की घोषणा हो गई। कई दिनों तक बनारस में ही वो अपने माता-पिता के साथ किसी तरह से रह रहा था। लेकिन जब बनारस में जिंदगी गुजारना मुश्किल हो गया तब तबारक ने सोचा की पिता के ठेला से ही वो अपने गांव चला जाए। फिर क्या था उसने अपने माता-पिता को ठेला पर बिठाया और अपने घर अररिया के लिए निकल गया। 9 दिन और नौ रात के बाद वो 750 किलोमीटर का सफर तय कर किसी तरह गांव पहुंचा। इस दौरान रास्ते में भी लोगों ने उसकी मदद की और किसी ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया। रातों रात ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और सभी ने तबारक का नाम कलयुग का श्रवण कुमार रख दिया। गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने भी तबारक की खूब हौसला अफजाई की और शब्बासी दी।

गरीबी में जी रहा है तबारक का परिवार

तबारक के तीन भाई और तीन बहन हैं। पिता बीमार रहते हैं और माँ की भी एक आँख ख़राब है। इनके पास अपना जमीन भी नहीं है। ऐसे में तबारक की माँ कहती है हमारे पास न तो कोई रोजगार है और न ही जमीन ऐसे में परिवार का गुजर बसर कैसे होगा ? कैसे तबारक को पढ़ायेंगे ? वो पढ़ना चाहता है लेकिन माली हालत इसकी इजाजत नहीं देते हैं।

तबारक के परिवार की मदद को आगे आए कई हाथ

तबारक के परिवार की दयनीय स्थिति को देखकर समाज के कई लोग आगे आये हैं और उनकी मदद में जुट गये हैं । AIMIM के जिला अध्यक्ष ने गांव पहुंचकर कहा कि हमारी पार्टी तबारक की हर संभव मदद करेगी। वहीं तबारक के जज्बे को देखकर सभी उसे सलाम कर रहे हैं। आज के युग में श्रवण कुमार की तरह अपने बीमार माता पिता को ठेला पर बिठा कर 750 किलोमीटर की दुरी तय कर तबारक ने यह साबित कर दिया की कोशिश करने पर सब कुछ मुमकिन हो सकता है। जरूरत है कि ऐसे साहसी और बहादुर बच्चे की सभी मदद कर उसका भविष्य़ संवारने में मदद करें।