पुरषोत्तम, गया: डा॰ प्रेम कुमार, माननीय मंत्री, कृषि, पशुपालन-सह-मत्स्य विभाग, बिहार गया जिला के नगर प्रखण्ड के कंडी पंचायत वार्ड 05 स्थित कण्डी गांव पहुंचे और देश के कई पश्चिमी राज्यों राजस्थान, गुजरात के साथ ही मध्यप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में रेगस्तानी टिड्डियों के द्वारा फसलों को हुये नुकसान से बचाव के उपाय के बारे में किसानों से विचार विर्मश किया। माननीय मंत्री के साथ उनके विशेष कार्य पदाधिकारी ई॰ नरेन्द्र लोहानी, उप परियोजना निदेशक, श्री नीरज कुमार वर्मा एवं स्थानीय कृषि समन्वयक तथा किसान सलाहकार उपस्थित थे।
टिड्डियां कितने होते हैं खतरनाक ?
माननीय मंत्री ने कहा कि रेगस्तानी टिड्डियाँ लम्बी उड़ान भरने में सक्षम होती है और रास्ते में आने वाले हरे पेड़ पौधों और फसलों को भारी क्षति पहुंचा सकती हैं। ये बहुत तेजी से प्रजनन करके अपनी जनसंख्या को बढ़ाती हैं। इनसे बचने के लिये जरुरी है कि इनकी उड़ान पर नजर रखी जाय। क्योंकि ये हवा की दिशा में उड़ान भरते हैं, दिन भर उड़ने के बाद ये संध्या में जिस क्षेत्र में उतरते हैं वहां भारी नुकसान पहुंचाते हैं।
अधिकारियों को दिए विशेष दिशा निर्देश और दी हेल्पलाइन नम्बर की जानकारी
मंत्री जी ने आगे कहा कि सभी प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी, कृषि समन्वयक, प्रखण्ड तकनीकी प्रबंधक, सहायक तकनीकी प्रबंधक एवं किसान सलाहकार अपने पदस्थापित प्रखण्डों एवं पंचायतों में रहना सुनिश्चित करें और टिड्डियों की गतिविधियों पर नजर रखें और किसी भी प्रकार के खतरे से ससमय जिला और राज्य मुख्यालय को अवगत करायें। प्रगतिशील एवं प्रबुद्ध किसान भी टिड्डियों के दिखाई देने पर व्हाट्सऐप एवं अन्य माध्यमों से विभाग को सूचित करें। सूचना देने के लिये किसान काॅल सेन्टर 18001801551 पर डाॅयल किया जा सकता है।
टिड्डियों से निपटने के लिए हर तरह से रहें तैयार
माननीय मंत्री प्रेम कुमार ने जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया कि वे जिला में उपलब्ध फायर ब्रिगेड के बडे़ एवं छोटे वाहनों को, प्रत्येक प्रखण्ड में ट्रैक्टर एवं अन्य माध्यम से कीट नाशक स्प्रे करने के वाहनों को एवं जरुरत पड़ने पर पावर स्प्रेयर आदि की उपलब्धता का आकलन कर उसे रेडी टू यूज स्थिति में रखें। जिलें में टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिये छिड़काव किये जाने वाले रसायनों की आवश्यकता का आंकलन कर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करा लें।
टिड्डियों से निपटने के लिए क्या करें ?
वहीं मंत्री प्रेम कुमार ने बताया कि दिन के समय टिड्डियों के दिखाई पड़ने पर एक साथ इकट्ठा होकर ढ़ोल, नगाड़ों, टीन के डिब्बों, थालियों, बिजली से बजने वाले बाजों आदि को बजाते हुये शोर मचाने से टिड्डियां अपना मार्ग परिवर्तित कर देती हैं। रसायनिक छिड़काव का सर्वोत्तम समय रात्रि 11 बजे से सुबह सूर्योदय तक होता है। अतः इसी अवधि में छिड़काव करने की तैयारी करनी चाहिये। उन्होंने चार प्रकार के कीट नाशक लैम्बडासायहेलोथ्रीन 5 ई॰सी॰ की एक मि॰ली॰ मात्रा प्रति लीटर पानी में अथवा क्लोरोपायरीफाॅस 20 ई॰सी॰ की 2.5 से 3 मि॰ली॰ मात्रा प्रति लीटर पानी में अथवा फिपरोनिल 5 ई॰सी॰ की एक मि॰ली॰ मात्रा प्रति लीटर पानी में या डेल्टामेंथ्रीन 2.8 ई॰सी॰ की 1 से 1.5 मि॰ली॰ मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की अनुसंशा की। किसान स्वयं छिड़काव नहीं करें एवं विभाग को सूचित करें विभाग रसायनों का छिड़काव करायेगा।
कई किसानों ने मंत्री जी की सुनी सलाह
इसके अलावा माननीय मंत्री जी ने उपस्थित किसानों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने एवं मास्क का प्रयोग करने के लिये कहा। इस अवसर पर कण्डी गांव के प्रगतिशील किसान श्री जयप्रकाष, बिट्टू कुमार, राजेन्द्र यादव, मनोज कुमार, श्रवण कुमार एवं स्थानीय महिला एवं पुरुष किसान उपस्थित थे।
More Stories
KHAN SIR के कोचिंग की छात्रा ने की आत्महत्या, पढ़ें सुसाइट नोट में क्या लिखआ BPSC छात्रा ने
RJD उम्मीदवार अली अशरफ फातमी का आरोप- ओवैसी हो चुके हैं एक्सपोज
जनता दरबार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 47 लोगों की सुनी समस्यायें, अधिकारियों को दिए आवश्यक दिशा-निर्देश