DNAPAUR: गंगा नदी के तट पर बसा है दानापुर दियारा का इलाका. तकरीबन 70 हज़ार की आबादी वाला दानापुर दियारा का लाइफ लाइन पीपा पूल को अचानक बढ़े गंगा नदी के जलस्तर के कारण खोलना पड़ा है. अब दियारा के लोगों को उफान मारती गंगा नदी पर नाव की खतरनाक सवारी करने को मजबूर होना पड़ रहा है.
बिहार में मानसून दस्तक दे चुका है. उत्तर भारत में हुई भारी बारिश से गंगा भी उफान मारने लगी है. इसका जल स्तर बढ़ते ही दानापुर के पीपा पूल को खोल दिया गया है. जिससे दियारा की लाइफ लाइन थम सी गयी है. जिससे गाड़ियां चलनी बंद हो गयी हैं. अब बस डगमगाती नाव का ही सहारा है. लोग अपना सामान जैसे तैसे लाद कर इस पर सफ़र करने को मजबूर है. महिलायें भी अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ किसी तरह नाव की सवारी करने को मजबूर हैं. अब गंगा नदी पर दियारा के लोग पुल बनवाने की मांग कर रहे हैं ताकि उफनती गंगा नदी में नाव की खतरनाक सवारी नहीं करनी पड़े.
दियारा वासियों के लिए लाइफ लाइन का काम करता है पीपा पूल. दियारा वासियों का यहीं से दिन की शुरूआत होती थी. बात सब्जी मंडी की हो, अनाज की हो या दूध दही की. सबकुछ पीपापुल के रास्ते से ही आवागमन होता था. लेकिन अब पीपा पुल खुल चुका है जिससे यहां की रफ्तार रूक सी गई है. अब लोगों का सहारा बस नदी में खड़ी नाव ही है.
रात आठ बजे के बाद नाव का परिचालन बंद कर दिया जाता है. रात में किसी भी तरह की इमरजेंसी होने पर दियारा के लोगों को सुबह होने का इंतज़ार करना पड़ता है. पीपापुल के खुल जाने से
अब लोगों को इमरजेंसी में तबीयत खराब होने पर डर सता रहा है. अब हालात ये हो गई है कि आज बीमार पड़ने पर मरीज को खटिया पर लादकर इलाज के लिए दानापुर अस्पताल ले जाया जाता है.
हर साल करोड़ों की लागत से पीपा पुल को लगाने का टेंडर होता है, और लाखों का टेंडर खोलने के लिए किया जाता है. लेकिन इतना खर्च करने के बावजूद भी ग्रामीणों की समस्या कहीं से भी कम नहीं होती. ग्रामीणों की ख्वाहिस है कि सरकार इतना खर्च करती है तो पक्का पुल क्यों नहीं बना देती.
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