बोकारो और धनबाद में क्षेत्रीए भाषा की सूची से भोजपुरी-मगही भाषा को हटाए जाने पर बिहार के सीएम नीतीश का बड़ा बयान
NEWSDESK: झारखंड में बोकारो और धनबाद जिले की क्षेत्रीय भाषा (BHASA VIVAD) की सूची से भोजपुरी और मगही भाषा को हटा दिया गया है. वहीं उर्दू भाषा को क्षेत्रीय भाषा की सूची में शामिल किया गया है. इसकी अधिसूचना कार्मिक, प्रशासनिक , राजभाषा विभाग ने जारी कर दी है. बता दें कि भोजपुरी और मगही दोनों भाषाओं को हटाने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से धनबाद, बोकारो जिले में आंदोलन चल रहा था. जिसका समर्थन झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो कर रहे थे. उनका कहना था कि इन जिलों में एक भी गांव इस भाषा (BHASA VIVAD) का बोलने वाला नहीं है. सरकार के इस फैसले के बाद जगन्नाथ महतो ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया. अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने इस विषय पर जीत जाहिर की.
झारखंड से बिहार तक भाषा विवाद पर सियासत तेज
इसपर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि इससे (BHASA VIVAD) झारखंड को खुद का ही नुकसान होगा. भोजपुरी और मगही यहां बोली जाती है. वहीं झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री ने अपने ही सरकार पर सूची से भोजपुरी भाषा हटाए जाने के बाद इशारों इशारों में अपने ही सरकार पर भोजपुरी बोलकर तंज कसा.
धनबाद बोकारो में भोजपुरी और मगही को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने के फैसले पर पेयजल स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने इसे जन भावनाओं (BHASA VIVAD) के अनुरूप लिया गया फैसला करार दीया है. मंत्री मिथिलेश ठाकुर निजी कार्यक्रम में शामिल होने बोकारो पहुंचे थे. जहां उन्होंने बोकारो परिसदन में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए यह बातें कही है. वहीं बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने भाषा विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. उर्दू भाषा को सूची में शामिल करने पर सीपी सिंह ने कहा है कि प्रदेश में जो भाषा विवाद सामने आ रहा है, वो सरकार प्रायोजित है और मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए सरकार इसे बढ़ावा दे रही है.
क्या है भाषा विवाद ? जानिय विवाद की वजह
चलिए अब हम आपको बताते हैं क्या है ये भाषा विवाद ? और कब से शुरु हुआ ये? दरअसल झारखंड सरकार के कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने 2021 दिसंबर में एक नोटिफिकेशन जारी कर राज्य के 11 ज़िलों में स्थानीय स्तर की नियुक्तियों के लिए (BHASA VIVAD) भोजपुरी, मगही और अंगिका को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में जगह दी थी. इनमें से कुछ ज़िलों में इन भाषाओं में से किसी एक या दो को क्षेत्रीय भाषा माना गया है. इसके अलावा ओडिया, बांग्ला और उर्दू को भी क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में जगह दी गई थी.
क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका पर एतराज जताने वाले संगठन और सियासी कुनबे इन्हें बाहरी भाषाएं बताते हैं. उनका कहना है कि इन भाषाओं का मूल बिहार है. इन्हें झारखंड की क्षेत्रीय भाषाओं में शामिल रखने से झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों का हक मारा जायेगा. झारखंड की थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में बिहार से आए लोग ही काबिज हो जायेंगे. हालांकि पलामू, गढ़वा में भोजपुरी भाषा को क्षेत्रीय भाषा की सूची में रखा गया है. इसी तरह मगही को चतरा ,लातेहार जिला की क्षेत्रीय भाषा की सूची में भी रखा गया है. दूसरी ओर पिछली बार उर्दू भाषा को किसी जिला की क्षेत्रीय भाषा में शामिल नहीं किया गया था, पर इस बार सभी 24 जिलों की क्षेत्रीय भाषा की सूची में उर्दू भाषा को भी शामिल किया गया है।
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