May 3, 2024

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Bihar lockdown: कोरोनाकाल में सड़क पर पड़े रूपये की नोट का भी मोल नहीं।

Patna: पूरी दुनिया में अभी चल रहा है कोरोना काल और इस काल में कई हैरान करने वाली तस्वीरें भी सामने आ रहीं हैं। बिहार के भोजपुर जिले के संदेश थाना के चिल्होस गांव की ये तस्वीर आप देख कर हैरान होंगे। सड़क पर पड़े ये नोट और इस नोट को निहारते चमकते दमकते चेहरे। मगर मजाल है किसी की। मजाल है किसी में की इसे छू ले। उठा ले और ले उड़े इसे। नहीं जनाब नहीं। कोई नहीं है। क्योंकि ये कोरोना काल है। जी हां ये कोरोना काल है। जहां हर इंसान को डर है इसे छुआ भी तो कहीं कोरोना का शिकार हो न जाये। इस रूपये को निहारते वो सोच रहे हैं, कहीं ये कोरोना का डाला चारा तो नहीं। जिसकी लालच में आये तो गये काम से।

हाँ ये कोरोना काल है। जिसने इंसान को जिंदगी की कीमत बता दी। मर चुके एहसास को जिंदा कर दिया। ये वही दुनिया है जहाँ इसी रूपये के नोट के लिए जान ले ली जाती है। दुकाने लूट लिए जाते हैं। अपनों का क़त्ल कर दिया जाता है। जिसे पाने के लिए खून का कोई मोल नहीं होता। मोल तो बस इसी कागज़ के टुकड़े का होता है। लेकिन आज इस 5 सौ रूपये के कागज़ के टुकड़े को भी इसकी औकात पता चल गई। आज लोगों के दिल में लालच ख़त्म हो गया है क्योंकि ये कोरोना काल है।

कभी हरे पत्ते की तरह रूपये की जिस नोट के लिए दुनिया मरती थी। आज वही नोट सड़क पर धूल फांक रही है। ये वही नोट है जनाब, भूल गए जिसे पाने के लिए नोट बंदी के वक़्त पूरा हिन्दुतान सड़कों पर कतारों में लगा था। लेकिन कोरोना काल में देखिये न। देखिये न कैसे इंसानों ने इसे सड़क पर ही लावारिश छोड़ दिया है।

आज कोरोना काल इंसानों को निगलता जा रहा है। जहाँ इस जैसे लाखों करोड़ों रुपए कागज़ के टुकड़े साबित हो रहें हैं। इंसान की जान नहीं बचाई जा रही है। इस कोरोना काल ने भले ही इंसानों को जिंदगी की कीमत समझा दी हो। लेकिन आज भी हम आपस में लड़ने को आमादा हैं। महाराष्ट्र में मॉब लिंचिंग के नाम पर। कहीं जमातियों के नाम पर कहीं धर्म तो कहीं जात पात के नाम पर।

ये कोरोना काल है। अगर अब हम नहीं सुधरें तो सब ख़त्म हो जायेगा। हम लड़ते रहेंगें मजहब के नाम पर और कोरोना अपना काम बिना भेद भाव के करता जायेगा। आज हज़ार कोरोना के शिकार हुए हैं , कल हज़ारों होंगे , परसों लाखों। क्योंकि ये कोरोना काल है। यहाँ न धर्म देखा जाता है, न जात न पात। हम महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक लड़ें। दिल्ली से यूपी तक। और यूपी से बिहार तक। चन्द लोगों के बहकावे में आकर खुद को गवा बैठेंगें हम। अपने परिवार अपने दोस्तों को खो बैठेंगें क्योंकि ये कोरोना काल है।

तो आओ छोड़ दें ये नफरते। लालच को दफ़न कर दें। जिस तरह सड़क पर ये नोट लावारिश पड़ा है वैसे ही अपनी नफरत को कहीं छोड़ कर सब एक हो जाएं। और एक हो जाये हिंदुस्तान। अगर न हुए एक तो इसका अंजाम भी खुद समझ लो क्योंकि ये कोरोना काल है।