Patna: लालू यादव जेल से बाहर आ रहे हैं. साथ ही आरजेडी कार्यकर्ताओं के लिए एक उम्मीद ला रहे हैं. उम्मीद बिहार की सत्ता पर दोबारा से काबिज होने की. हर किसी की जुबां पर अब यही है. वो आ रहे हैं, बिहार की सियासत की शतरंज पर बाजी पलटने को. तभी तो उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने दावा किया है कि जैसे ही लालू यादव जेल से बाहर आएंगे नीतीश सरकार गिर जाएगी.
लालू की रिहाई पर विरोधियों ने जवाब तो दिया. लेकिन बिहार की सियासत में उलट फेर की बातों सिरे से नकार दिया. लेकिन लालू कोई हलके नेता नहीं इसलिए जवाब देने विरोधियों की सेना उतार परी है. बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार बबलू कहते हैं कि लालू के बाहर आने से कोई फर्क नहीं करेगा. वो बाहर आ रहे हैं तो समाज की सेवा में लगे. वहीं जनअधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव ने लालू यादव की स्वास्थ्य की चिंता की करते हुए कहा कि कार्यकर्ताओं को अति उत्साह से बचना चाहिए. और 1990-92 का दौर दोबारा नहीं आना चाहिए.
लालू यादव बिहार की राजनीति को बारीकी से समझते हैं. कौन सा दाव कब चला जाए, लालू यादव ये बाखूबी जानते हैं. 2014 में मोदी लहर के बीच हुए बिहार चुनाव में इसके गवाह खुद बीजेपी नेता भी हैं. ऐसे में लालू यादव की वापसी बीजेपी के लिए परेशानी का सबब जरूर है. बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल ने लालू की सियासी पारी को खारिज करते हुए कहा कि उनके बाहर आने से बिहार की सियासत पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
लालू यादव की रिहाई पर आरजेडी की ताकत दोगुनी नहीं, चार गुनी नजर आ रही है. इसका सबूत आरजेडी की सेना में जोश देखने को मिल रहा है. लेकिन दूसरी तरफ बिहार की सत्ता पर काबिज मंत्री इसे सिरे से खारिज कर रहे हैं. बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि कोर्ट का जो निर्णय है, हम उसका सम्मान करते हैं. लालू प्रसाद यादव के बेल मिलने से राजद मजबूत होगा यह राजद समर्थकों की गलतफहमी है. लालू प्रसाद खुद कमजोर हैं. उसकी सेहत सही हो इसके लिए दुआ मांगा जा रहा है. लालू प्रसाद यादव कमजोर हो चुके हैं और उस कमजोर व्यक्ति के भरोसे राजद मजबूत होना चाहता है. लालू प्रसाद यादव अपराधी हैं. बेल मिलने से अपराधी का छवि खत्म नहीं होगी. अपराधी के भरोसे राजद सत्ता में आने का सपना देख रही है. इस तरह के पार्टी की सोच को जनता भली-भांति समझती है.
बहरहाल, कोई कह रहा ह वो आ रहे हैं गरीबों के मसीहा. जिस वक्त देश में महंगाई चरम पर है. और विपक्ष कमजोर. ऐसे में विरोधियों को दांतों तले लोहे के चने चबाने वाले लालू सियासत के मैदान में होंगे, तब बिहार की सियासत तो जरूर करवट लेगी, लेकिन इसके लिए कुछ दिन का और इंतजार, फिर शतरंज की बाजी बिहार की सियासी गलियारों में किसको मात और शह देगी ये देखना सबके लिए दिलचस्प होगा।
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