VAISHALI: ‘रघुवंश नहीं ये आंधी थे, देश के दूसरे गाँधी थे’ ये नारा पटना से लेकर हसनपुर गंगा घाट तक लगता रहा। इसी नारे के साथ पंच तत्व में रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) विलीन हो गए। अंतिम संस्कार से पहले पटना से वैशाली, फिर महनार के हसनपुर गंगा घाट तकरीबन एक सौ किलोमीटर की दूरी की इस यात्रा में जगह जगह लोगों ने उनके पार्थिव शरीर पर फूल माला चढ़ाय कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
वैशाली के गढ़ के बाद रघुवंश बाबू (Raghuvansh Prasad Singh) की शव यात्रा बेलसर, गोरौल, भगवानपुर, महुआ होते हुए उनके ससुराल रामपुर रमहर गाँव पहुंचा। जँहा उनके पार्थिव शरीर पर फूल माला अर्पित कर सभी ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पार्थिव शरीर पैतृक गांव शाहपुर पहुंचा, जँहा बिहार के कई मंत्री और विधायक उनके घर पर मौजूद थे। इस दौरान सभी ने पार्थिव शरीर पर फूल माला चढ़ा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
पैतृक गांव में अंतिम दर्शन के लिये 1 घण्टे तक शव को रखा गया फिर शव यात्रा का अंतिम पड़ाव हसनपुर गंगा घाट के तरफ चल दिया। जहां उनका अंतिम दाह-संस्कार होना था। हसनपुर गंगा घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की तैयारी वैशाली जिला प्रशासन ने किया था। हसनपुर गंगा घाट पर रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) के पार्थिव शरीर को गॉड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद रघुवंश बाबू के छोटे पुत्र शशि शेखर ने मुखाग्नि दी।
इस मौके पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मंत्री आलोक मेहता, पूर्व मंत्री शिव चन्द्र राम, विधायक प्रेमा चौधरी, उमेश कुशवाहा, राजकिशोर सिंह, बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार, मंत्री जयकुमार सिंह भी मौजूद थे।
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