PATNA: दानापुर दियारा की बारात अब नाव से निकलने लगी है । दुल्हा भी और बारात दोनों एक नाव पर सावर होतें है | उफान मारती गंगा की लहरों को पार कर, दूसरे किनारे पर पहुंचा जाता है। और फिर निकलती है सज धज के बारात। ये नजारा इन दिनों यहाँ आम हो चला है। पिपापुल बंद होने के बाद जिन शादियों की तारीख जिस दिन तय होती है उस दिन न गाड़ी बुक होता है और न ही घोड़ा, बुक तो यहाँ होती है नाव।
नाव से बारात गंगा के दियारा से दानापुर के नासरीगंज घाट पहुँचती है। फिर बैंड बाजा और बाराती साथ उतरतें हैं। और दुल्हा निकल पड़ता है अपनी दुल्हनियां लाने। ये बारात दानापुर दियारा के शंकरपुर से मनेर के प्रेम टोला जा रही है । फिर दुल्हन को लेकर इसी नाव के सहारे बारात लौटेगी।
भले शादी का माहौल है हर किसी के चेहरे पर ख़ुशी जरूर है। लेकिन दिल के किसी कोने में दर्द भी है। विकास की राह देख रहे दियारा के रहने वाले दूल्हा बने मनोज आज बच्चे से जवान हो गए। लेकिन न सड़क मिली न पुल बना। लेकिन एक उम्मीद है कि उनकी आने वाली नस्ल इस दर्द के साथ न बड़े हैं, और न ही उन्हें नाव के सहारे अपनी दुल्हनियां लाने जाना पड़े।
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