पुरुषोत्तम, वजीरगंज, गया : गया जिले के वजीरगंज प्रखंड के सहिया गांव में रामकुमार सिंह, एक गरीब लाचार बेबस परिवार है । इनके घर में खाने को अनाज एवं पहनने को कपड़े भाग्य भरोसे है , जबकि रहने के लिए ईंट एवं मिट्टी से सालों पुराना खंडहरनुमा घर है। नेवारी ठाठ से बना घर काफी जर्जर। यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। रामकुमार का परिवार एक ही कमरे में जर्जर हालात में 5 परिवार के साथ रहने को मजबूर है। कभी भी हादसे के कारण पूरे परिवार की जीवन लीला मिट सकती है । क्योकि खँडहर रूपी मकान के दीवार में कई जगह पर दरार बना हुआ है । खपरा एवं फूस के छप्पड़ के बांस-बल्ली भी कई स्थान पर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। हाल ही में एकबार छप्पड़ का कुछ भाग सोने की हालत में गिरने से घर रामकुमार सिंह घायल हो चुके हैं । घर के अंदर एक ही क्षतिग्रस्त कमरे में रामकुमार सिंह , उनकी पत्नी बेबी देवी, वृद्ध माँ कला देवी एवं दो बच्चे राजू और रौशन रहने को मजबूर हैं। पैसे नहीं होने के कारण छोटे बच्चे की पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है।
घर की हालत इतनी दयनीय है कि मां के 400 रुपए वृद्धा पेंशन की सहायता राशि से घर का खर्चा चलता है। घर के गार्जियन रामकुमार सिंह की तबीयत खराब रहती है। बीमारी को लेकर ऑपरेशन कराया गया था जिससे वो अभी पूरी तरह सेहतमंद नहीं हो सके हैं।
सरकार द्वारा मदद के नाम पर राशन कार्ड तो है , लेकिन यदा कदा ही अनाज मिल पा रहा है । भोजन कपड़ा एवं मकान जैसी मूलभूत सुविधा से ये परिवार वंचित है। रामकुमार के बीमार रहने के कारण कई रात पूरे परिवार को भूखे रहना पड़ता है । राम सिंह बताते है कि कुछ रिश्तेदारों के यहां से 5 किलो चावल मिला है जिससे मुश्किल से परिवार का पेट भर रहा है।
बरसात में छप्पड़ गिरने के उपरांत एक त्रिपाल डालकर परिवार जैसे तैसे घर के अंदर रह रहा है। इंदिरा आवास योजना का भी अभीतक लाभ नहीं मिल पाया है। रामकुमार सिंह बताते हैं कि पूर्व में प्रखंड एवं अंचल कार्यालय में आवेदन देकर सरकारी सहायता के लिए गुहार लगाया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो पाई है । ग्रामीणों ने बताया कि इंदिरा आवास सहायक द्वारा जाँच के क्रम में नाम का चयन तो किया गया , लेकिन लिस्ट से नाम गायब हो गया। ऐसे में सवाल उठता है कि लॉकडाउन में मजदूरी करने वाले बेबस परिवार का कौन मदद करेगा।
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