CHAPRA: सारण के कई इलाके इन दिनों बाढ़ की चपेट में हैं। हालात यहां के काफी खराब हैं। आवागमन पर सबसे बुरा असर पड़ा है। यहां के लोगों के लिए प्रशासन की तरफ से कोई बेहतर व्यवस्था नहीं की गई है। कमोबेश सरकारी मदद भी मिलती है लेकिन असली परेशानी तब शुरू होती है जब पानी घटता है और सरकारी मदद बन्द हो जाती है। प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया गया नाव वापस हो जाता है तब बाढ़ पीड़ितों की निजी व्यवस्था पर आत्मनिर्भरता बढ़ जाती है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में इक्के दुक्के लोग ही होते हैं, जिनके पास नाव है।
हम बात कर रहे हैं मशरक प्रखण्ड की। प्रखंड के बहरौली पंचायत के मुखिया ने पानी घटने के बाद सरकारी मदद लौट जाने पर खुद नाव की व्यवस्था कर बाढ़ पीड़ितों को उनके दैनिक कार्यो के लिए आवागमन सुविधाजनक बनाने के लिए नाव की व्यवस्था की है। जिसकी सवारी कर ग्रामीण अपने रोजमर्रा के कार्यो को पूरा करने बाजार, स्वास्थ्य केंद्र, मज़दूरी इत्यादि हेतु जा रहे हैं। लेकिन ये मदद लोगों के लिए नाकाफी साबित हो रही है।
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