April 20, 2024

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क्या केन्द्र सरकार के पैकेज से सभी प्रभावित ग़रीबों को राहत मिलेगी ?

— शम्स खान

पटना- वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने गरीबों के लिए 1 लाख 70 हज़ार करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है। कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिये लॉकडाऊन होने के मद्देनजर यह बहुत ही सराहनीय कदम है। लॉकडाऊन के पहले दिन से ही खासकर दिहाड़ी और अप्रवासी मज़दूरों, रिक्शा चालकों, फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों के दाने दाने के लिए मुहताज होने की ख़बरें आने लगीं थीं।

केन्द्र सरकार के पैकेज में राशन धरियों को 3 महीनों तक हर महीने 5 किलो अनाज और एक किलो दाल मुफ्त, महिलाओं के जन धन अकाउंट में 3 महीनों तक 500 रुपये की सहायता राशी, मनरेगा के मजदूरी में 20 रुपए की बढ़ोतरी, पेंशनधरियों को एडवांस भुगतान, रजिस्टर्ड मज़दूरों को सहायता राशी, उज्ज्वला योजना में 3 महीने मुफ्त गैस, मेडिकल वर्कर्स के लिए 50लाख का अतिरिक्त इंश्योरेंस इत्यादि शामिल हैं।

इसमें कोई दो राय नही के इस पैकेज से बहुत से लोगों को राहत मिलेगा लेकिन मेरे मन मे यह सवाल है कि क्या कमज़ोर वर्ग से आने वाले नीचे उल्लेखित समूहों को भी इससे फायदा मिल पायेगा?

● बड़ी तादाद ऐसे दिहाड़ी मज़दूरों और हेल्पर्स की है जो कहीं रजिस्टर्ड नही हैं। यह मज़दूर आमतौर से घर बनाने में मज़दूरी या माल ढोने, उतारने और चढ़ाने का काम करते या स्किल करीगर जैसे मेकेनिक, प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन, लोहार, कुक आदि के साथ हेल्पर के तौर पर जुड़े होते हैं।

● अप्रवासी मज़दूरों की बड़ी संख्या बीपीएल और राशन कार्ड में मिलने वाली सुविधा का लाभ नही उठा पाते, इनमें से ज़्यादातर लोग मनरेगा से भी नही जुड़े हैं।

● इसके इलावा शहरों या गांव में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो फुटपाथ पर या घूम घूम कर कपड़े, खाने के समान, आइसक्रीम, खिलौने इत्यादि बेच कर जीवन यापन करते हैं।

● शहरों में लाखों की संख्या में दिहाड़ी मज़दूर, रिक्शा ठेला चालक इत्यादि रेलवे स्टेशन, रैन बसेरा, फुटपाथ पर ज़िन्दगी बसर करते हैं। यह लोग खाने के लिए होटलों पर पूरी तरह निर्भर करते। ज़ाहिर है आमदनी के साथ साथ होटल भी बंद होने से इनकी कठिनाइयों का अंदाज़ा लगाया जा सकता ।

इस सन्दर्भ में केरल सरकार के राहत पैकेज की घोषणा में दिखाई गई Urgency और उसकी संरचना को देख कर यह कहा जा सकता के पिनाराई विजयन सरकार ने लॉकडाऊन के Challenges को सबसे बेहतर तरह से Visualise किया: मुफ्त राशन, ज़रूरतमंदों के लिए मुफ्त खाना, कम्युनिटी किचेन की शरुआत और सबसे अहम 1000 फ़ूड स्टाल जहाँ 20 रुपए में भर पेट खाना जैसी व्यवस्था से दूसरी सरकारों को सीख लेना चाहिए। हालांकि दूसरे कई राज्यों की सरकारों ने भी बहुत सराहनीय कार्य किया है, लेकिन मेरी राय में लॉकडाऊन की परिस्थति से निबटने के लिए केरल सरकार जैसा Comprehensive Intervention किसी का नही रहा।

इधर, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और पोल स्ट्रैटेजिस्ट प्रशांता भूषण द्वारा अप्रवासी बिहारियों को रही परेशानियों का मामला उठाने के बाद बिहार सरकार ने भी गरीबों के लिए 100 करोड़ के पैकेज की घोषणा की है। बताया जा रहा है की इस रकम का उपयोग मज़दूरों, रिक्शा ठेला चालकों, ठेले पर समान बेचने वालों और दूसरे गरीबों को राहत देने के लिए किया जाएगा। अगर सही तौर पर इसका Implementation हो जाता है तो केन्द्र के पैकेज के पूरक (Complimentary) के तौर पर इससे बहुत हद तक स्थिति नियंत्रित हो सकती है।

साथ ही कोरोना वायरस के मरीजों के सँख्या बढ़ने की आशंका को देखते हुए बिहार सरकार को कुछ बड़े मेकशिफ्ट स्वास्थ्य सेंटर बनाने के बारे में भी विचार करना चाहिए ताकि किसी भी परिस्थिति से निबटने के लिए तैयार रहा जा सके। इसके लिए बड़े ऑडिटोरियम जैसे कि बापू सभागार, ज्ञान भवन और राज्य के दूसरे हिस्सों में मौजूद ऐसे भवनों का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा सकता।

साथ ही, पटना के अस्पतालों में राज्य के दूर दराज़ के इलाकों से आये हुए दूसरे गंम्भीर बीमारियों के मरीजों और उनके परिजनों को काफी कठिनाइयां उठानी पड़ रहीं। उनके लिए भी निर्देश दिया जाना चाहिए। ज़रूरत मंदों के लिए कुछ सरकारी वाहनों की भी व्यवस्था होनी चाहिये। लोकडाऊन के दौरान अपने घरों को लौट रहे सैकड़ों मज़दूरों के बिना खाना पानी के तीन चार सौ किलोमीटर तक पैदल चलने की दर्दनाक दास्तान से हम सभी वाकिफ हैं।

साथ ही प्रशासन को संयम बरतने का निर्देश भी देना चाहिए ताकि किसी भी ज़रूरतमन्द को कठिनाई न हो। बहुत से समाज सेवी खाद्य सामग्री इत्यादि का वितरण करना चाहते हैं, प्रशासन को इसमें मदद करना चाहिये।

(शम्स खान, अंग्रेजी न्यूज़ पोर्टल ‘Bihar Times’ से जुड़े हैं। यह लेखक के अपने विचार हैं। )